आंखें आने और ज़ुकाम, फ़्लू व कोरोनावायरस के बीच का संबंध: अपनी आंखों की सुरक्षा करें
आपको सूखी खांसी है, नाक बह रही है और ज़ुकाम, फ़्लू या अन्य वायरस के दूसरे लक्षण भी हैं, और फिर आपकी आंखें लाल पड़ जाती हैं, उनसे पानी आने लगता है और आपकी पलकें फूल व सूज सकती हैं। हो सकता है कि आपको वायरल कंजंक्टिवाइटिस (वायरस के कारण आंखें आना) हो।.
मौसमी बीमारियां, जैसे ज़ुकाम और फ़्लू पैदा करने वाले कुछ वायरस आंखें आने की समस्या भी पैदा कर सकते हैं।
यह कैसे हो सकता है? जब आप बीमार होते हैं, तो नाक साफ करने के बाद जब आप कोई आंसू पोंछते हैं या आंखों के आस-पास के भाग को छूते हैं तो वायरस आपकी आंखों तक पहुंच जाता है।
कोरोनावायरस और आंखें आना
अब डॉक्टरों ने पाया है कि, अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ ऑप्थेल्मॉलजी (AAO) के अनुसार,कोरोनावायरस के कारण गुलाबी आंख की समस्या पैदा हो सकती है।
नोवेल कोरोनावायरस, जो कोविड-19 (COVID-19)नामक रोग का कारण है, इसे चीन के वुहान शहर में दिसंबर 2019 के उत्तरार्ध में शुरू हुए एक प्रकोप में पहली बार मनुष्यों में उपस्थित पाया गया था। माना जाता है कि यह नया कोरोनावायरस पशुओं से मनुष्यों में आया है और पूरी दुनिया में फैल गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 (COVID-19) को 11 मार्च, 2020 को एक वैश्विक-महामारी घोषित कर दिया था।
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नए कोरोनावायरस और अन्य वायरसों के आंखों तक पहुंचने और संभावित रूप से आंख आने की समस्या उत्पन्न करने के दो मुख्य मार्ग हैं:
1. खांसना और छींकना
पहला मार्ग, कोरोनावायरस एयरोसॉल के स्थानांतरण के माध्यम से आंखों तक पहुंच सकता है। “यानि, यदि आप किसी वायरस संक्रमित व्यक्ति के छः फ़ीट के दायरे में खड़े हैं, और वह खांसता या छींकता है, और आप आंखों की कोई भी सुरक्षा आईवियर नहीं पहने हैं,” यह कहना है AAO की क्लीनिकल महिला प्रवक्ता, स्टेफनी मैरिओनू (Stephanie Marioneaux), MD का।
2. आंखों को छूना
कोरोनावायरस हाथों से आंखों में भी पहुंच सकता है। मैरिओनू बताती हैं कि उदाहरण के लिए, यदि कोई वायरस संक्रमित व्यक्ति किसी शॉपिंग ट्रॉली के हैंडल को छूता है, और फिर आप उसी ट्रॉली का उपयोग करने के बाद अपनी आंखों को छूते हैं, तो कोरोनावायरस आपकी आंखों तक पहुंच सकता है।
AAO के अनुसार, अच्छी ख़बर यह है कि कोरोनावायरस के मात्र 1% से 3% रोगी आंख आने की समस्या से पीड़ित होते हैं।
एडिनोवायरस कंजंक्टिवाइटिस: सबसे आम प्रकार
कोरोनावायरस आजकल हर चर्चा के केंद्र में है, पर शायद आपने वायरस के कारण आंखें गुलाबी होने के सबसे आम कारण के बारे में नहीं सुना होगा जो है: एडिनोवायरस।
जब एडिनोवायरस संक्रमण के लक्षण ज़ुकाम या फ़्लू से मिलते-जुलते हो सकते हैं और उनमें शामिल हैं:
बुख़ार
पेट व आंतों की समस्याएं, जैसे दस्त और उबकाई
वायुमार्गों और फेफड़ों में सूजन, जिसे एक्यूट ब्रोंकाइटिस कहते हैं
गले में दुखन या ख़राश
न्यूमोनिया
कंजंक्टिवाइटिस (आंखें आना)
आंख आने के लक्षणों में आमतौर पर आंख में संक्रमण हो कर उसका लाल पड़ जाना, आंख से पानी आना, और आंख किरकिराना शामिल हैं।
एडिनोवायरस, ऐसे वायरसों का एक समूह है जो सर्दी-ज़ुकाम और ऊपरी श्वसन मार्ग की कई अन्य स्थितियां पैदा करते हैं।
एडिनोवायरस के कारण हल्का कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है जिसमें कोई अन्य लक्षण नहीं होता, या फिर इससे सबसे गंभीर रूप वाला कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है जिसे एपिडेमिक किरेटोकंजंक्टिवाइटिस (EKC) कहते हैं। कंजंक्टिवाइटिस का यह विशेष प्रकार समूहों में हुआ करता है और यह अत्यधिक संक्रामक और असुविधाजनक होता है।
मैरिओनू बताती हैं कि एडिनोवायरस विभिन्न सतहों पर लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। वे कहती हैं, “वे दरवाज़े के हैंडल पर 30 दिनों तक जिंदा रह सकते हैं और इतने समय बाद भी वे पहले दिन जितने ही संक्रामक हो सकते हैं।”
ऐसे कई अन्य वायरस और वायरस प्रभेद भी होते हैं जो आंख आने यानि कंजंक्टिवाइटिस की समस्या पैदा कर सकते हैं।
क्या फ़्लू से आंख आने की समस्या हो सकती है?
मैरिओनू बताती हैं कि फ़्लू के कुछ प्रभेद आंख आने की समस्या पैदा कर सकते हैं। हालांकि ये एडिनोवायरस जितने आम कारण नहीं हैं।
आप अपनी आंखों में वायरल (वायरस के कारण) कंजंक्टिवाइटिस होने की रोकथाम कैसे कर सकते हैं?
बचाव ही सबसे अच्छा इलाज़ है। आप इन चार तरीकों से वायरल कंजंक्टिवाइटिस होने की संभावना घटा सकते हैं:
1. अपने हाथ सही तरीके से धोएं
अमेरिकी रोग नियंत्रण व रोकथाम केंद्र (CDC) द्वारा बताए गए हाथों को सही तरीके से धोने के पांच चरणों को ध्यान से देखें। आपको अपने हाथ गीले करने चाहिए, टोंटी बंद कर देनी चाहिए, साबुन लगाना चाहिए, झाग बनाने चाहिए और 20 सेकंड तक रगड़ना चाहिए, और उसके बाद हाथों को धोना चाहिए। अपने हाथों को धोने के बाद, उन्हें हवा से सुखाएं या किसी साफ तौलिये का उपयोग करें।
2. अपनी आंखों को न छुएं
इस समय आपमें रोग के लक्षण हों या न हों, अपनी आंखों को थपकाने, मलने या पोंछने, या अपने चेहरे के अन्य भागों को छूने की इच्छा को काबू में रखें। मैरिओनू कहती हैं, “अपनी आंखों को केवल साफ़ टिश्यू से छुएं, अन्यथा नहीं।”
3. व्यक्तिगत वस्तुएं साझा करने से बचें
CDC का सुझाव है कि आप कॉन्टेक्ट लेंस की डिब्बियां, आई ड्रॉप, चेहरे का मेकअप या मेकअप ब्रश, तकियों के कवर, या नहाने अथवा हाथ पोंछने के तौलिये जैसी वस्तुएं साझा न करें। कंजंक्टिवाइटिस बहुत संक्रामक होता है और रोगी के कारण एक आंख से दूसरी आंख तक फैल सकता है।
4. कॉन्टैक्ट लेंस छोड़ कर चश्मा अपनाएं
कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले लोग चाहें तो कुछ समय के लिए चश्मे का उपयोग कर सकते हैं। मैरिओनू कहती हैं, “कॉन्टैक्ट लेंस प्रयोग करने वाले कई रोगी अनजाने में ही अपनी आंखें छूते रहते हैं।” “इसलिए यदि आप बेहद चिंतित हैं तो जब तक कोरोनावायरस का डर ख़त्म न हो जाए तब तक आप चश्मों का उपयोग कर सकते हैं।”
स्वच्छता की उत्तम आदतों का महत्व शब्दों में बताया नहीं जा सकता है।
मैरिओनू कहती हैं, “आपको नहीं पता होता कि जब आप दरवाज़े का हैंडल छूते हैं, पेंसिल का उपयोग करते हैं या 1,000 ग्राहकों की कतार पार करने के बाद क्रेडिट कार्ड बॉक्स पर हस्ताक्षर करते हैं तो आपके हाथ किस चीज़ के संपर्क में आए होते हैं।” जब भी संभव हो, स्पर्शहीन भुगतानों का उपयोग करें।
वायरल कंजंक्टिवाइटिस का उपचार: आपको क्या जानना चाहिए
वायरस के कारण आंखें गुलाबी होने, जिसमें नए कोरोनावायरस के कारण होने वाला कंजंक्टिवाइटिस भी शामिल है, का कोई उपचार नहीं है, पर यह आमतौर पर एक से दो सप्ताह में अपने-आप चला जाता है।
यदि आपमें वायरल कंजंक्टिवाइटिस होने की पहचान होती है, तो आपके ऑप्टीशियन आपको आपके लक्षणों से राहत दिलाने के लिए आंख गुलाबी होने के ये घरेलू नुस्खे सुझा सकते हैं:
यदि आपको तकलीफ़ हो रही हो तो उससे राहत के लिए डॉक्टर के पर्चे के बिना मिलने वाली कोई दर्द की दवा लें।
ऊन या कपास के किसी नर्म-बुने कपड़े का उपयोग करते हुए अपनी आंख की गुनगुनी सिकाई करें; समस्या एक से दूसरी आंख में न पहुंच जाए इसके लिए हर बार साफ कपड़ा प्रयोग करें या हर आंख के लिए अलग कपड़ा प्रयोग करें।
जलन व खुजली से परेशान आंख को राहत पहुंचाने के लिए चिकनाहट देने वाले आई ड्रॉपप्रयोग करें, जिन्हें “कृत्रिम आंसू” भी कहते हैं। ध्यान रखें कि आपको शीशी का सिरा अपनी आंखों से छूने नहीं देना है ताकि संक्रमण न फैले।
आपको जानना चाहिए कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा वायरल कंजंक्टिवाइटिस के मामलों में एंटीबायोटिक आई ड्रॉप लिख देने की ग़लती हो जाना आम है, विशेष रूप से तब जब आप किसी GP (सामान्य डॉक्टर) या अर्जेंट देखभाल प्रदाता के पास जाएं जिसे आंखों के संक्रमणों में भेद करने का बहुत थोड़ा अनुभव हो सकता है।
असल में, आंखें गुलाबी होने के मामले में एंटीबायोटिक के उपयोग के एक अध्ययन से तो यह पता चला कि एक्यूट कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित अधिकांश लोगों को ग़लत उपचार मिलता है। अध्ययन में पता चला कि 60% रोगियों को एंटीबायोटिक लिखे गए, जबकि इस वर्ग की दवाएं आमतौर पर ज़रूरी नहीं होती हैं।
अक्सर ऐसा होता है कि रोगी या रोगी के माता-पिता यह मान लेते हैं कि आम वायरल कंजंक्टिवाइटिस किसी लगाने वाली दवा के बिना ठीक नहीं होगी और वे डॉक्टर पर दवा लिखने का दबाव भी डाल सकते हैं। यह एक ग़लत धारणा है।
और दो बड़े कारणों के चलते यह एक समस्या भी है:
1. एंटीबायोटिक के ग़लत उपयोग से सूक्ष्मजीवों में प्रतिरोध उत्पन्न हो जाता है
मैरिओनू बताती हैं कि यदि किसी रोगी को अनावश्यक रूप से एंटीबायोटिक दवा दी जाए, तो भविष्य में अधिक गंभीर संक्रमणों के उपचार में उस दवा का असर घट जाता है। “जिन रोगियों को एंटीबायोटिक दवाओं की ज़रूरत नहीं है उन्हें कभी-कभी वे दवाएं लिख दी जाती हैं जिन्हें हम हमारे सबसे मुश्किल मामलों के लिए बचा कर रखते हैं।”
2. एंटीबायोटिक दवाओं से कंजंक्टिवाइटिस और बदतर हो सकती है
मैरिओनू कहती हैं कि"एंटीबायोटिक आई ड्रॉप आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में दख़ल देते हैं, जबकि यही प्रतिक्रिया अंततः आपको वायरल कंजंक्टिवाइटिस से छुटकारा दिलाती है।" यदि ऐसा होता है, तो रोग से मुक्त होने में विलंब हो सकता है।
ग़लत उपचार से बचने और सही पहचान, शिक्षण तथा योजना पाने के लिए यह ज़रूरी है कि कोई दृष्टि देखभाल प्रदाता आपकी स्थिति की सही-सही पहचान करे। एडिनोवायरस से होने वाले वायरल कंजंक्टिवाइटिस और विभिन्न अन्य प्रकार के वायरस या बैक्टीरिया से होने वाले अन्य नेत्र संक्रमणों के बीच भेद करना कठिन हो सकता है।
मैरिओनू कहती हैं," लाल आंख होने के कई कारण हो सकते हैं।"
यदि आप बीमार हों और आपकी आंखों में रोग के लक्षण हों तो क्या करें
यदि आप बुख़ार, सिसकियों या अन्य लक्षणों से ग्रस्त हों और आपमें कंजंक्टिवाइटिस जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाए तो?
मैरिओनू कहती हैं, “खुद डॉक्टर बनने की कोई कोशिश न करें, क्योंकि आंखों में लालिमा, भले ही तब हो जब आप बीमार हों, का हमेशा यह मतलब नहीं होता कि आपको कोई संक्रमण है।”
उदाहरण के लिए, जलन, खुजली, लालिमा या सूजन के पीछे एलर्जी, एंटीहिस्टामिन दवाएं, खांसी की दवाएं या ऐसी अन्य दवाएं हो सकती हैं जो आपके साइनसों को सुखा देती हैं और उनके कारण आपकी आंखें भी ख़ुश्क हो सकती हैं।
मैरिओनू कहती हैं, "यही कारण है कि किसी नेत्र देखभाल पेशेवर से परामर्श करके यह पता लगाना ज़रूरी होता है कि आपकी आंखों के साथ असल में क्या हो रहा है।"
पर दुनिया भर में कोविड-19 (COVID-19) के द्रुतगामी प्रसार के साथ, वायरस का प्रसार रोकने की सावधानियां बरतना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
यदि आपको आंखों की कोई समस्या हो और साथ में बुख़ार, खांसी, सांस फूलना या रोग के अन्य कोई लक्षण भी हों तो आपको यह करना चाहिए:
जो मुलाकातें बेहद ज़रूरी न हों उन्हें रद्द कर दें
यदि आपको आंखों का कोई नियमित परीक्षण करवाना हो, तो ऑप्टिशियन के पास जाना तब तक टाल दें जब तक आप स्वस्थ न हो जाएं।
किसी नेत्र देखभाल पेशेवर को दिखाएं
आंखों की किसी भी चिकित्सीय समस्या का उपचार पारिवारिक डॉक्टर या अर्जेंट देखभाल केंद्र के डॉक्टर से न लें। ऑप्टिशियन आंखों से संबंधित समस्याओं के विशेषज्ञ होते हैं, अतः उनके पास इन स्थितियों की पहचान करने और उनका उपचार करने का अधिक अनुभव होता है।
अपने ऑप्टिशियन के पास जाने से पहले उन्हें कॉल करें
अपने ऑप्टिशियन के क्लीनिक जाने से पहले उन्हें कॉल करके अपने लक्षण बताएं और अपनी आंखों की समस्या पर बात करें। यदि आपमें कोविड-19 (COVID-19) के लक्षण हों या यदि आपको लगता है कि शायद आप इसके संपर्क में आ गए हैं, तो उन्हें यह बात बता दें।
यदि आप बीमार हैं और आप आंखों की किसी ऐसी अर्जेंट समस्या से पीड़ित हैं जिसके लिए आमने-सामने दिखाना ज़रूरी है, तो आपके ऑप्टिशियन को आपसे फ़ेस मास्क पहनने और अन्य रोगियों से दूर किसी अलग प्रतीक्षा स्थान पर बैठने को कहना चाहिए।
आपके ऑप्टिशियन आपकी जांच करते समय सुरक्षा के साजोसामान जैसे चश्मे, फ़ेस मास्क, गाउन, दस्तानों और स्लिट लैंप ब्रीथ शील्ड का उपयोग करेंगे।
यदि आपके विचार में आपको कंजंक्टिवाइटिस है तो क्या करें
कंजंक्टिवाइटिस अपने-आप घटता जाता है, इसके लक्षण आमतौर पर 7 से 10 दिनों तक रहते हैं। यह आंखें गुलाबी पड़ने के बाद के पहले तीन से चार दिनों में सर्वाधिक संक्रामक होता है।
इस स्थिति के बने रहने की पूरी अवधि में दूसरों से वस्तुएं साझा करने और आंख छूने से बचें। अपने कंजंक्टिवाइटिस के कारण का पता लगाने में मदद पाने और सर्वोत्तम उपचार एवं योजना तैयार करने के लिए अपने ऑप्टिशियन से मिलें।
आपको लगता है कि आपको कंजंक्टिवाइटिस है? अपने आसपास का कोई ऑप्टिशियनढूंढें, उन्हें कॉल करके अपने लक्षणों के बारे में बात करें, और फिर (यदि आवश्यक हो तो) अपॉइंटमेंट लें।
पेज प्रकाशित किया गया Wednesday, 21 April 2021