आंख की हर्पीज़ (ऑक्युलर हर्पीज़)
आंख की हर्पीज़ क्या है?
आंख की हर्पीज़ — जिसे ऑक्युलर हर्पीज़ भी कहते हैं — आंखों का एक वायरल संक्रमण है जो टाइप 1 हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरस (HSV-1) से होता है। HSV-1 मुंह और होठों के आस-पास भी छाले उत्पन्न करता है।
अधिकांश मामलों में आंख की (ऑक्युलर) हर्पीज़ आंख के कॉर्निया को प्रभावित करती है। इन मामलों में, इसे हर्पीज़ केराटाइटिसभी कहते हैं। (लैटिन भाषा में, केराटो का अर्थ है “कॉर्निया” और आइटिस का अर्थ है “सूजन”।)
आंखों की हर्पीज़ कॉर्निया की सतही कोशिकाओं को भी प्रभावित कर सकती है (एपिथिलियल हर्पीज़ केराटाइटिस) या फिर कॉर्निया के मुख्य काय को (स्ट्रोमल हर्पीज़ केराटाइटिस)। स्ट्रोमल हर्पीज़ केराटाइटिस में कॉर्निया पर घाव के निशान बन सकते हैं और दृष्टि हानि हो सकती है।
अपेक्षाकृत कम मामलों में, HSV-1 के कारण आइरिस में और आंख के आगे वाले भाग के अंदर के संबंधित ऊतकों में सूजन आ सकती है (हर्पीज़-संबंधी आइरिटिस) या आंख के पिछले भाग में स्थित रेटिना में सूजन आ सकती है (हर्पीज़ रेटिनाइटिस).
आंखों की (ऑक्युलर) हर्पीज़ का कारण क्या है?
आंखों की हर्पीज़ का कारण टाइप 1 हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरस है जो आमतौर पर मुंह-से-मुंह के संपर्क (जैसे चुंबन से या भोजन, भोजन करने के बर्तन या टूथब्रश साझा करने से) द्वारा फैलता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ़ हेल्थ (NIH) के अनुसार आधे से अधिक अमेरिकी जनसंख्या अपने जीवन के 20 के दशक में पहुंचते-पहुंचते HSV-1 से संक्रमित हो चुकी होती है ; और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक आकलन के अनुसार दुनिया भर में 50 वर्ष से कम आयु के लगभग 3.7 अरब लोगों (67%) को HSV-1 संक्रमण है।
मूल HSV-1 संक्रमण से अक्सर कोई लक्षण उत्पन्न नहीं होता है। पर कुछ लोगों में हर्पीज़ वायरस मुंह के अंदर या उसके इर्द-गिर्द पीड़ादायी छाले कर देता है जो आमतौर पर एक सप्ताह या इससे अधिक तक बने रहते हैं। जब वायरस अपने कदम पीछे हटाते हुए त्वचा के नीचे मौजूद चेहरे की तंत्रिकाओं में जा बसता है और निष्क्रिय (सुषुप्त) हो जाता है तो लक्षण धीरे-धीरे चले जाते हैं।
यह वायरस कोई भी स्पष्ट समस्या उत्पन्न किए बिना आपकी तंत्रिकाओं में आपके पूरे जीवन सुषुप्त पड़ा रह सकता है। पर संक्रमण के कुछ माह या वर्षों बाद भी, कुछ तनाव-कारक HSV-1 को पुनः सक्रिय कर सकते हैं, जिससे मुंह के छाले (ओरल हर्पीज़) या नेत्र संक्रमण (आंख की या ऑक्युलर हर्पीज़) हो सकते हैं।
इन तनाव-कारकों में शामिल हैं:
भावनात्मक परेशानी
धूप से अत्यधिक संपर्क
बुख़ार
दांतों की कोई बड़ी कार्यविधि या कोई बड़ी सर्जरी
आघात
प्रतिरक्षा तंत्र कमज़ोर पड़ जाने (जैसे, यदि आप कीमोथेरेपी ले रहे हैं तो) से भी आपमें HSV-1 के पुनः सक्रिय होने का जोख़िम बढ़ सकता है, जिससे आंख की हर्पीज़ का प्रकोप हो सकता है।
आंख की हर्पीज़ के लक्षण
ऑक्युलर हर्पीज़ के प्रकोप के साथ विभिन्न संकेत और लक्षण जुड़े होते हैं। आपके कॉर्निया में सूजन आ सकती है, जिस कारण आंख में जलन व खुजली या अचानक तीव्र दर्द हो सकता है। साथ ही, कॉर्निया धुंधला भी सकता है, जिस कारण दृष्टि धुंधली हो सकती है.
आंख की हर्पीज़ के अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:
आंसू आना
आंख में बारंबार संक्रमण
जलन व खुजली
आंख में कुछ पड़ा होने का एहसास
आंख लाल होना
आंख में घाव/फोड़ा
आंख से पानी जैसा स्राव निकलना
ऑक्युलर हर्पीज़ आमतौर पर केवल एक आंख को प्रभावित करती है, पर दोनों आंखें भी प्रभावित हो सकती हैं।
उपचार नहीं करवाने पर, आंख की हर्पीज़ के कारण कॉर्नियल अल्सर हो सकता है और कॉर्निया पर घाव के निशान पड़ सकते हैं जिससे स्थायी दृष्टि हानि हो सकती है।
आंखों की हर्पीज़ का उपचार
यदि आपको ऑक्युलर हर्पीज़ है, तो आपके नेत्र देखभाल पेशेवर वायरस को नियंत्रित करने और आपके कॉर्निया को क्षति से बचाने में मदद के लिए एंटीवायरल दवा लिख सकते हैं। ये दवाएं दवा-युक्त आई ड्रॉप, मरहम, या मुखीय दवाओं के रूप में हो सकती हैं, जो आपकी आंखों की हर्पीज़ के स्थान और उसकी तीव्रता पर निर्भर करता है।
ऑक्युलर हर्पीज़ की एंटीवायरल दवाओं के कुछ उदाहरण:
ट्रिफ़्लूरिडिन आई ड्रॉप
गैनसाइक्लोविर ऑफ्थेल्मिक जैल
विडाराबिन ऑइंटमेंट
एसायक्लोविर मुखीय दवा
अपनी आंख की हर्पीज़ के उपचार के लिए अपने नेत्र देखभाल पेशेवर के निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करना न भूलें और सभी दवाएं निर्देशों के अनुसार ही लें।
हालांकि आंखों की हर्पीज़ का कोई इलाज नहीं है, पर उपचार से आंखों की क्षति रोकी जा सकती है, दृष्टि हानि से बचा जा सकता है, और भावी प्रकोप के नियंत्रण में मदद मिल सकती है।
यदि ऑक्युलर हर्पीज़ के कारण आपके कॉर्निया पर घाव के निशान पड़ गए हों और आपको दृष्टि हानि हुई हो, तो कॉर्निया ट्रांसप्लांट सर्जरी (केराटोप्लास्टी) प्रायः आपकी नेत्रज्योति पूर्ण या आंशिक रूप से बहाल कर सकती है।
जेसिका हिल (Jessica Hill) और चार्ल्स स्लोनिम (Charles Slonim), MD ने भी इस लेख में योगदान दिया है।
पेज प्रकाशित किया गया Wednesday, 21 April 2021